۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
मौलाना अली हाशिम आबिदी

हौज़ा / हज़रत फातिमा ज़हरा (सलामुल्लाहे अलैहा ) ने अपनी बुद्धिमानी से दुश्मनों को पुनरुत्थान के दिन तक उजागर किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत फातिमा ज़हरा (स.अ.) की शहादत के मौके पर कला इमाम बाड़ा पीर बुखारा में शोक सभा का आयोजन किया गया।

मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी इमामे जमात मस्जिद कला इमाम बाड़ा ने पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) की हदीस सुनाई: उन्होंने कहा कि हर मुसलमान आस्तिक की दो ख्वाहिशें होती हैं कि उसे जन्नत मिले और जन्नत में उसे प्यारे खुदा का ज्वार मिले। एक और नरक से छुटकारा पाएं। इस हदीस में पैगंबर (स.अ.व.व.) ने दुनिया भर के मुसलमानों से कहा कि अगर तुम जन्नत में जाना चाहते हो और मेरे साथ जन्नत में रहना चाहते हो, तो मेरी बेटी फातिमा ज़हरा (स.अ.) से प्यार करो। मेरी बेटी फातिमा ज़हरा से दुश्मनी मत करो, उससे नफरत मत करो।

मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने पैगंबर (स.अ.व.व.) की हदीस कोड करते हुए समझाया कि मनुष्य जिन सभी गुणों की कल्पना कर सकता है, वे बीबी दो आलम (स.अ.) में मौजूद थे। आप एक बेटी के मामले में एक अतुलनीय बेटी हैं। पत्नी के संदर्भ मे अदि्तीय पत्नी "पत्नी बतुल" होने पर गर्व होना चाहिए। अतुलनीय मातृत्व कि हसनैन करीम जैसे बच्चों को आप पर गर्व होना चाहिए। 18 साल की छोटी उम्र में उन्होंने यह धारणा छोड़ दी कि प्रशिक्षण न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों के लिए भी सर्वोत्तम अभ्यास है।

मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने कहा कि शिया और सुन्नी हदीसो की किताबों में एक रिवायत है कि पैगंबर (स.अ.व.व.) ने कहा: है फात्मा जिससे तुम राज़ी हुई अल्लाह उससे राज़ी हुआ और जिससे तुम नाराज़ हुई अल्लाह उससे नाराज हुआ। हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) ने अपनी हकीमाना वसीयत के माध्यम से दुश्मनों को पुनरुत्थान के दिन तक बेनकाब कर दिया। आखिर रात के अंधेरे मे क्यो दफन हुई? आपके अंतिम संस्कार में कुछ ही लोग क्यों शामिल हुए? आपको शहीद क्यों किया गया? आखिर क्या दिक्कत थी कि आपको कहना पड़ा, "हे बाबा, तुम्हारे बाद, मुझ पर वो मसाइब ढाए गए, अगर दिन के उजाले पर पड़ते तो वो रात की तारीकी मे तब्दील हो जाते"?

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